
26/10/2023
शरशैया पर लेटे भीष्म : भीष्म को इच्छामृत्यु प्राप्त थी। जब बाणों से उनका शरीर छेद दिया गया तब भी उन्होंने देह का त्याग नहीं किया। महाभारत के अनुसार सूर्य जब तक उत्तरायन नहीं हुआ, तब तक वे इसी तरह शरशैया पर लेटे रहे। युद्ध समाप्ति के बाद भी उन्होंने कई दिनों तक शरीर नहीं छोड़ा था। प्रतिदिन उनसे बचे हुए योद्धा, कृष्ण और पांडव आदि प्रवचन सुनने आते थे।
एक दिन युद्धोपरांत भीष्म के मृत्युवरण से पूर्व पांडव उनका आशीर्वाद लेने गए। बातचीत में युधिष्ठिर ने पूछा- पितामह, पुरुष और स्त्री में किसे अधिक यौन सुख प्राप्त होता है? संतान द्वारा माता और पिता कहे जाने से माता और पिता में किसे अधिक कर्णप्रिय लगता है? भीष्म ने उत्तर दिया- राजा भंगाश्वन के अतिरिक्त इन प्रश्नों का उत्तर कोई नहीं जानता। उनकी अनेक-अनेक पत्नियां और संतानें थीं। इंद्र के श्राप से वह स्त्री बन गया और उसने एक पुरुष से शादी कर संतानों को भी जन्म दिया। इस प्रकार उसके ज्ञान में पति और पत्नी तथा माता और पिता का अनुभव है। वही तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम है।