Jai shri krishna

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शरशैया पर लेटे भीष्म : भीष्म को इच्छामृत्यु प्राप्त थी। जब बाणों से उनका शरीर छेद दिया गया तब भी उन्होंने देह का त्याग न...
26/10/2023

शरशैया पर लेटे भीष्म : भीष्म को इच्छामृत्यु प्राप्त थी। जब बाणों से उनका शरीर छेद दिया गया तब भी उन्होंने देह का त्याग नहीं किया। महाभारत के अनुसार सूर्य जब तक उत्तरायन नहीं हुआ, तब तक वे इसी तरह शरशैया पर लेटे रहे। युद्ध समाप्ति के बाद भी उन्होंने कई दिनों तक शरीर नहीं छोड़ा था। प्रतिदिन उनसे बचे हुए योद्धा, कृष्ण और पांडव आदि प्रवचन सुनने आते थे।

एक दिन युद्धोपरांत भीष्म के मृत्युवरण से पूर्व पांडव उनका आशीर्वाद लेने गए। बातचीत में युधिष्ठिर ने पूछा- पितामह, पुरुष और स्त्री में किसे अधिक यौन सुख प्राप्त होता है? संतान द्वारा माता और पिता कहे जाने से माता और पिता में किसे अधिक कर्णप्रिय लगता है? भीष्म ने उत्तर दिया- राजा भंगाश्वन के अतिरिक्त इन प्रश्नों का उत्तर कोई नहीं जानता। उनकी अनेक-अनेक पत्नियां और संतानें थीं। इंद्र के श्राप से वह स्त्री बन गया और उसने एक पुरुष से शादी कर संतानों को भी जन्म दिया। इस प्रकार उसके ज्ञान में पति और पत्नी तथा माता और पिता का अनुभव है। वही तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम है।

22/10/2023

महाभारत की ये 10 रहस्यमय विचित्र कथाएं
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वेदव्यास की महाभारत को बेशक मौलिक माना जाता है, लेकिन कहते हैं कि वह 3 चरणों में लिखी गई। पहले चरण में 8,800 श्लोक, दूसरे चरण में 24 हजार और तीसरे चरण में 1 लाख श्लोक लिखे गए। वेदव्यास की महाभारत के अलावा भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे की संस्कृत महाभारत सबसे प्रामाणिक मानी जाती है।
अंग्रेजी में संपूर्ण महाभारत दो बार अनूदित की गई थी। पहला अनुवाद 1883-1896 के बीच किसारी मोहन गांगुली ने किया था और दूसरा मनमंथनाथ दत्त ने 1895 से 1905 के बीच। 100 साल बाद डॉ. देबरॉय तीसरी बार संपूर्ण महाभारत का अंग्रेजी में अनुवाद कर रहे हैं।

प्रत्येक के घर में महाभारत होना चाहिए। महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। यह ग्रंथ भारत देश के मन-प्राण में बसा हुआ है। यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित है। अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से भारत के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है। इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है।

महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी और कृपाचार्य हो। महाभारत सिर्फ योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है। महाभारत से जुड़े शाप, वचन और आशीर्वाद में भी रहस्य छिपे हैं।

दरअसल, महाभारत की कहानी युद्ध के बाद समाप्त नहीं होती है। असल में महाभारत की कहानी तो युद्ध के बाद शुरू होती है, जो आज भी जारी है। जानकार जानते हैं कि वर्तमान युग महाभारत की ही देन है। खैर, हम आपको बताएंगे महाभारत के पात्रों की ऐसी विचित्र कहानी जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। ये कहानियां हमने महाभारत से अलग दूसरे ग्रंथों से भी संग्रहीत की हैं।

25/11/2022
आज भी हैं यदुवंशी या भगवान श्रीकृष्ण के साथ खत्म हो गया था पूरा वंश?Lord Krishna : महाभारत के युद्ध में कौरवों के समस्त ...
16/07/2022

आज भी हैं यदुवंशी या भगवान श्रीकृष्ण के साथ खत्म हो गया था पूरा वंश?
Lord Krishna : महाभारत के युद्ध में कौरवों के समस्त कुल का नाश हुआ। इसके अलावा पांच पांडवों को छोड़कर पांडव कुल के अधिकांश लोग मारे गए।

एक ऐसा युद्ध, जो सम्राज्य के लिए दो परिवारों में भीषण युद्ध हुआ। 18 दिनों तक चला इस युद्ध में असंख्य लोग मारे गए। इस युद्ध में रक्तचाप के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं तो महाभारत ( Mahabharat ) के युद्ध के बारे में। जिसमें पांडवों ( pandav ) और कौरवों ( Kaurav ) का युद्ध हुआ।

इस युद्ध में कौरवों के समस्त कुल का नाश हुआ। इसके अलावा पांच पांडवों को छोड़कर पांडव कुल के अधिकांश लोग मारे गए। लेकिन इस युद्ध के कारण कुछ ऐसी भी घटनाएं हुई, जो अविश्वसनीय है। वो है भगवान श्रीकृष्ण ( Lord Krishna ) के पूरे वंश के साथ नाश। मान्यता है कि इस वंश का नाश का कारण था एक श्राप, जो एक मां द्वारा दी गई थी।

दरअसल, महाभारत के युद्ध में कौरव वंश का नाश हो गया था। यु्द्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर को राजतिलक किया गया। लेकिन कौरवों की माता गंधारी ने महाभारत युद्ध के लिए कृष्ण को दोषी मानती रहीं। बेटों की मृत्यु से दुखी होकर गंधारी ने श्राप दिया कि जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश ( Yaduvanshi ) का भी नाश हो जाएगा।

गंधारी के श्राप के कारण विनाशकाल आने के कारण भगवान श्रीकृष्ण यदुवंशियों को लेकर प्रयास क्षेत्र में आ गए। इस दौरान यदुवंशी अपने साथ अन्न भंडार भी लेकर आये थे। तब कृष्ण ने सभी अन्न भंडार ब्राह्मणों को दान दे दिया और मृत्यु का इंतजार करने का आदेश दे दिया।

कुछ दिनों बाद सभी यदुवंशी आपस में महाभारत युद्ध की चर्चा कर रहे थे, इसी दौरान सात्यकि और कृतवर्मा में किसी बात को लोकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि सात्यकि ने गुस्से में आकर कृतवर्मा का सिर काट दिया। इस घटना के बाद यदुवंशी समूहों में विभाजित हो गए और एक दूसरे का संहार करे लगे।

इस लड़ाई में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युमन और मित्र सात्यकि समेत सभी यदुवंशी मारे गए। केवल बब्रु और गारूक ही बच गए थे। यदुवंश के नाश के बाद भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी समुद्र तट पर बैठ गए और एकाग्रचित होकर परमात्मा में लीन हो गए। इस प्रकार शेषनाग के अवतार बलराम जी स्वधाम लौट गए।

बहेलिये का तीर लगने से हुई श्रीकृष्ण की मृत्यु
बलराम जी के देह त्यागने के बाद जब एक दिन श्रीकृष्ण जी पीपल के नीचे ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए थे, तब उस क्षेत्र में एक जरा नाम का बहेलिया आया हुआ था। जरा एक शिकारी था और वह हिरण का शिकार करना चाहता था। जरा को दूर से हिरण के मुख के समान श्रीकृष्ण का पेर का तलवा दिखाई दिया। बहेलिए ने बिना कोई विचार किए वहीं से एक तीर छोड़ दिया जो कि श्रीकृष्ण के तलवे में जाकर लगा और इस प्रकार कृष्ण भी स्वधाम पहुंच गए और यदुवंश का पूरी तरह नाश हो गया!

सूबे का सबसे बड़ा श्रीराधा बांके बिहारी इस्कॉन मंदिर 12 साल में बनकर तैयार हुआ है. बुद्ध मार्ग स्‍थि‍त यह मंदिर देश का 6...
15/07/2022

सूबे का सबसे बड़ा श्रीराधा बांके बिहारी इस्कॉन मंदिर 12 साल में बनकर तैयार हुआ है. बुद्ध मार्ग स्‍थि‍त यह मंदिर देश का 60 वां मंदि‍र है. लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस मंदिर के लिए वर्ष 2004 में मंदिर के लिए जमीन लिया गया. नक्शा पास होने के बाद 2010 में मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ था. तीन मंजिला इस मंदिर में 84 कमरे और 84 पिलर बनाये गये हैं.
मंगलवार को श्रीराधा बांके बिहारी और वैदिक संस्कार केंद्र के नाम से इस मंदिर का उद्धाटन किया जायेगा. इस मंदिर को आस्था के सबसे बड़े केंद्र के रूप में स्थापित किया जायेगा. इस समारोह में कई गणमान्य लोग शामिल होंगे. उद्घाटन समारोह समेत पूरा कार्यक्रम पांच दिनों का है. कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 40 विदेशी कृष्‍ण भक्‍त आये हैं.
पिछले कई दिनों से भजन और कीर्तन हो रहे हैं. देश-विदेश से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. कई विदेशी महिलाएं यहां होने वाले कीर्तन में शामिल हो रही हैं. सोमवार को कई प्रकार के वाद्ययंत्र हैं, जिन्हें विदेशी श्रद्धालु बजाती नजर आयी. कई विदेशी महिला श्रद्धालु भजन गाते हुए नाचती रहीं. मंदिर में यज्ञ कार्यक्रम भव्य तरीके से किया जा रहा है.वहीं मंदिर की सजावट के साथ-साथ कई प्रकार की मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं. वहीं भगवान कृष्ण और राधा से जुड़े कई प्रसंगों को चित्र के द्वारा उकेरा जा रहा है.
लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस मंदिर की खासियत इसकी बनावट है. इस मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध और ऐतिहासिक द्वारिकाधीश मंदिर की तर्ज पर 84 खंभों पर किया गया है. इसका एक खास कारण है. मंदिर के मीडिया प्रभारी नंद गोपाल दास ने बताया कि‍ जिस प्रकार 84 योनि का धार्मिक दर्शन हैं, ठीक उसी प्रकार इन 84 खंभों की परिक्रमा करने पर जीवन के 84 योनि के चक्र से बाहर होगा. पूरे इस्कॉन मंदिर का निर्माण ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के वंशजों द्वारा किया गया है. तो वहीं मंदिर में लगाया गया संगमरमर विश्व प्रसिद्ध उसी मरकाना का है, जिससे ताजमहल बने है.

पटना में स्थित बिहार का सबसे बड़ा श्रीराधा बांके बिहारी इस्कॉन मंदिर मंगलवार से श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया...
15/07/2022

पटना में स्थित बिहार का सबसे बड़ा श्रीराधा बांके बिहारी इस्कॉन मंदिर मंगलवार से श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया. राजधानी पटना के बुद्धमार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. इस मौके पर बिहार के राज्यपाल, समेत कई मंत्री मौजूद रहे. अक्षय तृतीया के मौके पर श्रीराधा बांके बिहारी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्तियां स्थापित की गईं. मंदिर में राधे-बांके बिहारी, ललिता व विशाखा के साथ, राम दरबार में राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के विग्रह (मूर्ति) स्थापित किए गए हैं.

बिहार की राजधानी पटना के बुद्धमार्ग में 100 करोड़ की लागत से यह इस्कॉन मंदिर बना है. दो एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है. श्रीराधा बांके बिहारी इस्कॉन मंदिर लगभग 12 साल में बनकर तैयार हुआ है. इस मंदिर में 84 कमरे और 84 पिलर बनाए गए हैं. यह बिहार का पहला और देश का चौथा इस्कॉन मंदिर है. पटना में इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष कृष्णा कृपादास ने बताया कि साल 2007 में मंदिर का भूमिपूजन किया गया था. उस समय कार्यक्रम में देश विदेश से भारी संख्या में कृष्ण भक्त शामिल हुए थे. मंदिर निर्माण का काम 2010 में शुरू किया गया था. भक्तों की मांग पर मंदिर को शहर के बीच में बनाया गया है. इस मंदिर का निर्माण पटना के बुद्धमार्ग पर किया गया है. इतने बड़े मंदिर को तैयार करने में तकरीबन 100 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई है.

Patna Iskcon Temple: बिहार के सबसे बड़े इस्कॉन मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया, 100 करोड़ की लागत से हुआ है तैयार Jai Shr...
15/07/2022

Patna Iskcon Temple: बिहार के सबसे बड़े इस्कॉन मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया, 100 करोड़ की लागत से हुआ है तैयार Jai Shri Krishna 🙏

11/07/2022

Shanskar diye, Vidya diya, Dharm ka Gyaan diya👏

Jai Shri Krishna 👏
03/07/2022

Jai Shri Krishna 👏

Jai Shri Krishna🙏
24/05/2022

Jai Shri Krishna🙏

24/01/2022

Salam India🙏

Jai Shri Krishna ✍️
22/01/2022

Jai Shri Krishna ✍️

Jai Shri Krishna 🙏
22/01/2022

Jai Shri Krishna 🙏

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